लेखनी कहानी -22-Mar-2023 मेरा कोहिनूर हीरा
मेरा कोहिनूर हीरा
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" आप यह क्या करने जारहे हो? मेरी समझ में कुछ नहीं आरहा है।अमन हमारा सगा बेटा है जबकि रमन आपको नदी किनारे झाडि़यौ में पडा़ मिला था। और आप है कि रमन को अपनी पैतृकि सम्पत्ति में बराबर का हकदार बनारहे हो। " , रवि चौधरी की पत्नी सरोज ने अपने पति को समझाया।
"सरोज रमन मेरा सगा बेटा नहीं है लेकिन इस समाज में जो इज्जत मुझे रमन ने दिलवाई है उससे अधिक मेरे सगे खून ने मुझे हमेशा वेइज्जत करने में कोई कमी नहीं छोडी़। मेरा मन तो यह करताहै कि मै उसे एक दमडी़ भी न दूँ। रमन मेरा कोहिनूर हीराहै। मै जानता हूँ कि मै उसे कुछ न दूँ तब भी वह मुझसे एक पाई नहीं मांगेगा। बैसे भी तुम्हैं तेरा मेरा करने के अलावा हीरे की पहचान है ही कहाँ ?" रवि चौधरी ने अपनी पत्नी को समझाया।
"देखो जी आपने हमेशा मेरे अमन को कभी अपना सगा बेटा समझा ही कब था। आप हमेशा रमन की तरफदारी लेते आरहे हो। आप भी जानते हो कि रमन आपका सगा बेटा नहीं है। अब मै ऐसा बटवारा कभी नही होने दूँगी इसके लिए मुझे कुछ भी करना पडे़। बैसे भी रमन इतना कमाता है कि उसे कुछ भी जरूरत भी नही है। यह बात आपको माननी होगी। ", सरोज अपनी आँखें लाल करती हुई बोली।
रवि चौधरी अपनी पत्नी के किसी भी तर्क को मानने को तैयार नहीं थे। परन्तु सरोज अपनी बात मनवाने पर अडी़ हुई थी।
उनकी यह सब बातें रमन दरवाजे के बाहर खडा़ सुन रहा था। उसे इससे पहले इस बात का पता नहीं था कि वह उनका सगा खून नहीं है। क्यौकि रवि ने अपने प्यार से उसे कभी भी यह महसूस नहीं होने दिया था कि वह उनको अनाथ मिला था।
रवि चौधरी पहले दूसरे गाँव में रहते थे। एक दिन वह सुबह नदी किनारे टहल रहे थे। उनको किसी बच्चे की रोने की आवाज सुनाई पडी़ ।जब वह जिधर से बच्चे के रोने की आवाज आरही का थी उधर गये तब झाडि़यौ में एक बच्चा एककपडे़ में लिपटा हुआ मिला।
रवि उस बच्चे को उठाकर लेआये और उसका पालन अपने बच्चे की तरह करने लगे उसका नाम रमन रखा । कुछ समय बाद उनके घर अपना बच्चा पैदा हुआ उसका नाम अमन रखा।
कुछ समय बाद उन्होंने वह शहर इसलिए छोड़ दिया कि कोई बडा़ होने पर यह बात रमन व अमन को न बतादे कि तुम सगे भाई नहीं हो। अपनी पत्नी सरोज को कसम देदी थी कि वह कभी भी किसी भी बच्चे को इसका अहसास नहीं करायेगी कि वह सगे भाई नहीं हैं। इसीलिए उन्होंने जगह भी बदल ली थी।
रमन पढ़ने में बहुत तेज था। रमन एम बी ए करके अच्छी कम्पनी में जाब करली थी। जबकि छोटा अमन न पढ़ता था वह हमेशा गलत संगत में रहता था। रमन की अच्छे परिवार से शादी भी होगयी थी। परन्तु अमन के हालात के कारण कोई भी अपनी लड़की देने को तैयार नहीं था।
रवि चौधरी अपने जिन्दा रहते ही रमन का हिस्सा उसे देना चांहते थे। क्यौकि वह अमन की आदतौ से बहुत परेशान रहने लगे थे। अमन दो तीन बार थाने भी जा चुका था। रवि पत्नी की जिद के कारण जमानत करवाकर लेआये थे।
जब रमन को मालूम हुआ कि वह अनाथ है । वह उनको अनाथ मिला था। उसने रवि की सम्पत्ति से हिस्सा न लेने का मन बना लिया।वह अपनी पत्नी के पास जाकर बोला," पीहू हमें अब यहाँ से जाना होगा ।मै कल ही किराये का मकान देखना शुरू कर दूँगा। जैसे ही कोई मकान मिलजायेगा हम यहाँ से चले जायेगे। "
पीहू को रमन की बाते कुछ समझ में नही आई जब उसने कारण पूछा तब उसने सब कुछ बता दिया और बोला," देखो पीहू मम्मी पापा ने मुझे आजतक यह अहसास नहीं होने दिया कि मै उनका सगा बेटा नहीं हूँ। लेकिन मैं अपने छोटे अमन के हिस्से पर मेरा कोई अधिकार नहीं है। इसलिए अब हमें यहाँ से जाना ही ठीक रहेगा।"
रमन ने चुपचाप किसी को बिना बताये एक किराये का मकान देख लिया जब एक दिन रमन अपनी पत्नी के साथ जाने की आप्ज्ञा लेने रवि के पास गया। जब उन्होंने कारण पूछा तब वह बोला," पापाजी आपने जो भी मुझ जैसे अनाथ के साथ किया ऐसा बहुत कम लोग ही करते है। मैं आपके इस अहसान को सात जन्म तक नहीं चुका पाऊँगा। लेकिन मैं अमन के हिस्से पर डाका कैसे डाल सकता हूँ। "
रमन यह तू क्या बकवास करता जारहा है। अपनी औलाद पर भी कोई अहसान करता है ? तुझसे यह सब किसने कहा?"
रवि ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की परन्तु रमन बोला ," पापा आप दोनों को भी मेरे साथ रहना होगा।
रवि अपनी पत्नी से बोले," सरोज तूने देखलिया रमन मेरा खून न सही लेकिन वह कोहिनूर हीरा है। ऐसे हीरौ की परख हर कोई जौहरी नहीं कर सकता है। अपना खून तो हमें केवल बेइज्जत ही करना जानता है। "
उन्होंने रमन व उसकी पत्नी को अपने दिल पर पत्थर रखकर विदा किया।क्यौकि अब सभी को मालूम होगया था कि रमन रवि का सगा बेटा नहीं है।
रवि को उस रात नींद नही आई क्यौकि उनका कोहिनूर हीरा उनको छोड़कर जा चुका था।
आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
प्रिशा
26-Mar-2023 11:28 AM
👌👌👌
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shweta soni
24-Mar-2023 11:07 AM
बेहतरीन
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अदिति झा
23-Mar-2023 12:24 AM
Nice 👍🏼
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